Class 8 Sanskrit Chapter 3 Digiibhartam Questions Answers



 

पाठ-परिचय– प्रस्तुत पाठ ‘डिजिटलइण्डिया’ के मूल भाव को लेकर लिखा गया निबन्धात्मक पाठ है। इसमें वैज्ञानिक प्रगति के उन आयामों को छुआ गया है, जिनमें हम एक ‘क्लिक’ द्वारा बहुत कुछ कर सकते हैं। आज | इन्टरनेट ने हमारे जीवन को कितना सरल बना दिया है। हम भौगोलिक दृष्टि से एक-दूसरे के अत्यन्त निकट आ गए हैं। इसके द्वारा जीवन के प्रत्येक क्रियाकलाप सुविधाजनक हो गए हैं। ऐसे ही भावों को यहाँ सरल संस्कृत में व्यक्त किया गया है।

अद्य संपूर्णविश्वे “डिजिटलइण्डिया” इत्यस्य चर्चा श्रूयते । अस्य पदस्य कः भावः इति मनसि जिज्ञासा उत्पद्यते । कालपरिवर्तनेन सह मानवस्य आवश्यकताऽपि परिवर्तते । प्राचीनकाले ज्ञानस्य आदान-प्रदानं मौखिकम् आसीत्, विद्या च श्रुतिपरम्परया गृह्यते स्म । अनन्तरं तालपत्रोपरि भोजपत्रोपरि ‘च लेखनकार्यम् आरब्धम्। परवर्तिनि काले कर्गदस्य लेखन्याः च आविष्कारेण सर्वेषामेव मनोगतानां भावानां कर्गदोपरि लेखनं प्रारब्धम् ।

हिन्दी अनुवाद – आज पूरे संसार में ‘डिजिटल इण्डिया’ की चर्चा सुनी जाती है। इस शब्द का क्या भाव है, यह मन में जानने की इच्छा उत्पन्न होती है। समय के बदलने के साथ ही मानव की आवश्यकता भी बदल जाती है। प्राचीन काल में ज्ञान का आदान-प्रदान मौखिक था और विद्या श्रुति परम्परा (एक कान से दूसरे कान तक मौखिक रूप से सुनाना) के द्वारा ग्रहण की जाती थी। बाद में तालपत्रों के ऊपर और भोजपत्रों के ऊपर लेखन कार्य आरम्भ हुआ। परिवर्तन के समय में कागज और कलम (पैन) के आविष्कार से सभी मनोभावों का कागज के ऊपर लिखना आरम्भ हो गया।

टंकणयंत्रस्य आविष्कारेण तु लिखिता सामग्री टङ्किता सती बहुकालाय सुरक्षिता अतिष्ठत् । वैज्ञानिक प्रविधे: प्रगतियात्रा पुनरपि अग्रे गता । अद्य सर्वाणि कार्याणि संगणकनामकेन यंत्रेण साधितानि भवन्ति। समाचार-पत्राणि, पुस्तकानि च कम्प्यूटरमाध्यमेन पठ्यन्ते लिख्यन्ते च । कर्मदोद्योगे वृक्षाणाम् उपयोगेन वृक्षाः कर्त्यन्ते स्म, परम् संगणकस्य अधिकाधिक प्रयोगेण वृक्षाणां कर्तने न्यूनता भविष्यति इति विश्वास: । अनेन पर्यावरणसुरक्षाया: दिशि महान् उपकारो भविष्यति।

हिंदी में अनुवाद:- टंकण (टाईप) मशीन के आविष्कार से तो लिखित सामग्री टंकित (मुद्रित) होने पर बहुत समय तक के लिए सुरक्षित हो गई। वैज्ञानिक तकनीक (विधि) की प्रगति यात्रा फिर से आगे बढ़ती गई। आज सभी कार्य कम्प्यूटर नामक यन्त्र से सम्पन्न होते हैं। समाचार-पत्र और पुस्तकें कम्प्यूटर के माध्यम से पढ़ी जाती हैं। कागज के उद्योग में वृक्षों के उपयोग से वृक्षों को काटा जाता था, परन्तु कम्प्यूटर का अधिक से अधिक प्रयोग होने से वृक्षों के काटने में कमी होगी, ऐसा विश्वास है। इससे पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में महान् उपकार होगा।

अधुना आपणे वास्तुक्रयार्थम् रूप्यकाणाम् अनिवार्यता नास्ति ‘डेबिट कार्ड‘, ‘क्रेडिट कार्ड‘ इत्यादयः सर्वत्र रूप्यकाणां स्थानं गृहीतवन्तः । वित्तकोशस्य (बैंकस्य) चापि सर्वाणि कार्याणि संगणकयंत्रेण सम्पाद्यन्ते । बहुविधा: अनुप्रयोगाः (APP) मुद्राहीनाय विनिमयाय (Cashless Transaction) सहायकाः सन्ति ।

हिंदी अनुवाद:- इस समय में बाजार में वस्तु खरीदने के लिए रुपयों की आवश्यकता नहीं है ‘डेबिट कार्ड’, ‘क्रेडिट कार्ड‘ इत्यादि ने सभी जगह रुपयों का स्थान ग्रहण कर लिया है। बैंक के समस्त कार्य कम्प्यूटर से किए जाते हैं। बहुत प्रकार के एप बिना रुपयों के लेन-देन में सहायक हैं।

कुत्रापि यात्रा करणीया भवेत् रेलयानयात्रापत्रस्य, वायुयानयात्रापत्रस्य अनिवार्यता अद्य नास्ति । सर्वाणि पत्राणि अस्माकं चलदूरभाषयन्त्रे ‘ई-मेल’ इति स्थाने सुरक्षितानि भवन्ति यानि सन्दर्श्य वयं सौकर्येण यात्रायाः आनन्द गृह्णीमः चिकित्सालयेऽपि उपचारार्थं रूप्यकाणाम् आवश्यकताद्य नानुभूयते । सर्वत्र कार्डमाध्यमेन, ई-बैंकमाध्यमेन शुल्कम् प्रदातुं शक्यते ।

हिन्दी अनुवाद:- आज कहीं भी यात्रा करनी हो, रेल टिकट की, हवाई जहाज के टिकट की अनिवार्यता नहीं है। | सभी टिकट हमारे मोबाइल फोन में ‘ई-मेल’ नामक स्थान पर सुरक्षित होते हैं, जिनको दिखलाकर हम आसानी से यात्रा का आनन्द लेते हैं। चिकित्सालय में भी उपचार (इलाज) के लिए रुपयों की आवश्यकता का आज अनुभव नहीं किया जाता है। सभी जगह कार्ड के माध्यम से, ई-बैंक के माध्यम से फीस प्रदान कर सकते हैं।

तद्द्दिनं नातिदूरम् यदा वयम् हस्ते एकमात्रं चलदूरभाषयन्त्रमादाय सर्वाणि कार्याणि साधयितुं समर्था: भविष्यामः । वस्त्रपुटके रूप्यकाणाम् आवश्यकता न भविष्यति । ‘पासबुक’ ‘चैकबुक‘ इत्यनयोः आवश्यकता न भविष्यति । पठनार्थं पुस्तकानां समाचारपत्राणाम् अनिवार्यता समाप्तप्राया भविष्यति । लेखनार्थम् अभ्यासपुस्तिकायाः कर्गदस्य वा, नूतनज्ञानान्वेषणार्थम् शब्दकोशस्याऽपि आवश्यकतापि न भविष्यति ।

हिन्दी अनुवाद- वह दिन अधिक दूर नहीं है जब हम हाथ में एकमात्र मोबाइल फोन को लेकर सभी कार्य । सम्पन्न करने में समर्थ हो जायेंगे। जेब में रुपयों की आवश्यकता नहीं होगी। ‘पासबुक’, ‘चैक्बुक‘ इन दोनों की आवश्यकता नहीं होगी। पढ़ने के लिए पुस्तकों, समाचार-पत्रों की अनिवार्यता लगभग समाप्त हो जायेगी। लिखने के लिए अभ्यास-पुस्तिका अथवा कागज की, अथवा नवीन ज्ञान को खोजने के लिए शब्दकोश की भी आवश्यकता नहीं होगी।

अपरिचितमार्गस्य ज्ञानार्थम् मार्गदर्शकस्य मानचित्रस्य आवश्यकतायाः अनुभूतिः अपि न भविष्यति। एतत् सर्वं एकेनैव यन्त्रेण कर्तुम् शक्यते। शाकादिक्रयार्थम्, फलक्रयार्थम्, विश्रामगृहेषु कक्षं सुनिश्चितं कर्तुम् चिकित्सालये शुल्कं प्रदातुम् । विद्यालये महाविद्यालये चापि शुल्कं प्रदातुम्, कि बहुना दानमपि दातुम् चलदूरभाषयन्त्रमेव अलम्-डिजीभारतम् इति अस्यां दिशि वयं भारतीयाः द्रुतगत्या अग्रेसरामः ।

अपरिचित मार्ग (रास्ते) को जानने के लिए मार्गदर्शक मानचित्र की आवश्यकता का अनुभव भी नहीं होगा। यह सब एक ही यन्त्र (मोबाइल फोन) से कर सकते हैं। शाक (सब्जियाँ) खरीदने के लिए, फल खरीदने के लिए, विश्रामघरों (गैस्ट हाऊस) में कमरा सुनिश्चित (बुक) करने के लिए, अस्पताल में फीस देने के लिए, विद्यालय और महाविद्यालय में भी शुल्क देने के लिए, अधिक क्या, दान देने के लिए भी मोबाइल फोन ही पर्याप्त है। ‘डिजिटल भारत’ इस दिशा में हम भारतीय तीव्र गति से आगे बढ़ रहे हैं।

Class 8 Sanskrit Chapter 3 Digiibhartam Questions Answers

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत

(क) कुत्र ‘डिजिटल इण्डिया’ इत्यस्य चर्चा भवति ?

उत्तरम् – सम्पूर्णविश्वे ।

(ख) केन सह मानवस्य आवश्यकता परिवर्तते? 

उत्तरम् – कालपरिवर्तनेन सह ।

(ग) आपणे वस्तूनां क्रयसमये केषाम् अनिवार्यता न भविष्यति ? 

उत्तरम् – रूप्यकाणाम् ।

(घ) कस्मिन् उद्योगे वृक्षाः उपयुज्यन्ते?

उत्तरम्-कर्गदोद्योगे ।

(ङ) अद्य सर्वाणि कार्याणि केन साधितानि भवन्ति?

उत्तरम् – संगणकयन्त्रेण ।

प्रश्न 2. अधोलिखितान् प्रश्नान् पूर्णवाक्येन उत्तरत

(क) प्राचीनकाले विद्या कथं गृह्यते स्म ?

उत्तरम् – प्राचीनकाले विद्या श्रुतिपरम्परया गृह्यते स्म । 

(ख) वृक्षाणां कर्तनं कथं न्यूनतां यास्यति?

उत्तरम्-कर्मदोद्योगे वृक्षाणाम् उपयोगेन वृक्षाः कर्त्यन्ते, अतः संगणकस्य अधिकाधिक प्रयोगेण वृक्षाणां कर्तनं न्यूनतां यास्यति ।

(ग) चिकित्सालये कस्य आवश्यकता अद्य नानुभूयते ?

उत्तरम् – चिकित्सालये रूप्यकाणाम् आवश्यकता अद्य नानुभूयते ।

(घ) वयम् कस्यां दिशि अग्रेसरामः ? 

उत्तरम् – वयम् ‘डिजीभारतम्’ इति अस्यां दिशि अग्रेसरामः ।

(ङ) वस्त्रपुटके केषाम् आवश्यकता न भविष्यति ?

उत्तरम् – वस्त्रपुटके रूप्यकाणाम् आवश्यकता न भविष्यति । 

प्रश्न 3. रेखांकितपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क) भोजपत्रोपरि लेखनम् आरब्धम् ।

(ख) लेखनार्थम् कर्गदस्य आवश्यकतायाः अनुभूतिः न भविष्यति ।

(ग) विश्रामगृहेषु कक्षं सुनिश्चितं भवेत् ।

(घ) सर्वाणि पत्राणि चलदूरभाषयन्त्रे सुरक्षितानि भवन्ति ।

(ङ) वयम् उपचारार्थम् चिकित्सालयं गच्छामः। 

उत्तरम्-प्रश्ननिर्माणम्

(क) भोजपत्रोपरि किम् आरब्धम् ?

(ख) लेखनार्थम् कस्य आवश्यकतायाः अनुभूति: न भविष्यति ?

(ग) केषु कक्षं सुनिश्चितं भवेत् ?

(घ) सर्वाणि पत्राणि कुत्र सुरक्षितानि भवन्ति? 

(ङ) वयम् किमर्थम् चिकित्सालयं गच्छामः?

प्रश्न 4. उदाहरणमनुसृत्य विशेषण विशेष्यमेलनं क विशेष्य

(क) मौखिकम्       (1) ज्ञानं 

(ख) मनोगताः।      (2) उपकारः

(ग) टंकिता।          (3) काले

(घ) महान्।           (4) विनिमयः

(ङ) मुद्राविहीनः     (5) कार्याणि 

(च) सर्वाणि          (6) सामग्री

(छ) परिवर्तिनि।      (7) भावा:

उत्तरम् – विशेषण     विशेष्य

(क) मौखिकम।     (1) ज्ञानम्

(ख) मनोगताः।      (2) उपकारः

(ग) टंकिता।          (3) सामग्री

(घ) महान्।           (4) उपकारः

(ङ) मुद्राविहीन।     (5) विनिमयः

(च) सर्वाणि।         (6) कार्याणि

(छ) परिवर्तिनि।      (7) भावा

प्रश्न 5. अधोलिखितपदयोः सन्धिं कृत्वा लिखत ।

उत्तरम् – पदस्य + अस्य = पदस्यास्य ।

तालपत्र + उपरि = तालपत्रोपरि

च + अतिष्ठत = चातिष्ठत।

कर्गद + उद्योगे = कर्मदोद्योगे

क्रय + अर्थम् = क्रयार्थम्।

इति + अनयोः = इत्यनयोः ।

उपचार + अर्थम् = उपचारार्थम्।

प्रश्न 6. उदाहरणमनुसृत्य अधोलिखितेन पदेन लघु वाक्य निर्माणं कुरुत। 

यथा- जिज्ञासा मम मनसि वैज्ञानिकानां विषये

उत्तरम् (क) आवश्यकता –  अद्य रूप्यकाणाम् आवश्यकता नास्ति ।

(ख) सामग्री – तत्र भोजनस्य सर्वा सामग्री वर्तते ।

(ग) पर्यावरणसुरक्षा – वृक्षाणां संवर्धनेन पर्यावरण सुरक्षा भवति ।

(घ) विश्रामगृहम् – अहं विश्रामगृहं गच्छामि ।

प्रश्न 7. उदाहरणानुसारम् कोष्ठकप्रदत्तेषु पदेषु चतुर्थ प्रयुज्य रिक्तस्थानपूर्ति कुरुत 

यथा – भिक्षुकाय धनं ददातु। (भिक्षुक)

(क) …………पुस्तकं देहि । (छात्र)

(ख) अहम्………वस्त्राणि ददामि (निर्धन)

(ग) ………………………. पठनं रोचते। (लता)

(घ) रमेशः ……… अलम्। (सुरेश)

(ङ) ……….नमः । (अध्यापक) 

उत्तरम् – (क) छात्राय पुस्तकं देहि ।

(ख) अहम् निर्धनाय वस्त्राणि ददामि। 

(ग) लतायै पठनं रोचते ।

(घ) रमेशः सुरेशाय अलम् ।

(ङ) अध्यापकाय नमः ।

योग्यता- विस्तारः

1. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

ज्ञातुम् इच्छा – जिज्ञासा – जानने की इच्छ

कर्तुम् इच्छा – चिकीर्षां – करने की इच्छा

पातुम् इच्छा – पिपासा – पीने की इच्छा

भोक्तुम् इच्छा- बुभुक्षा – खाने की इच्छा

जीवितुम् इच्छा- जिजीविषा – जीने की इच्छा

गन्तुम् इच्छा जिगमिषा – जाने की इच्छा

2. ‘तुमुन्’ प्रत्यय में ‘तुम्’ शेष बचता है। यह प्रत्यय के लिए अर्थ में प्रयुक्त होता है। जैसे-

कृ + तुमुन् – कर्तुम् – करने के लिए 

दा + तुमुन् – दातुम् + देने के लिए

खाद् + तुमुन् खादितुम् – खाने के लिए

तुमुन् + तुमुन् – पठितुम् – पढ़ने के लिए 

लिख् + लिखितुम् – लिखने के लिए

गम् + तुमुन् – गन्तुम् – जाने के लिए।




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